Monday, April 18, 2011

Mai ab wo nahin...

मै अब वो नहीं जो था कुछ साल पहले
कि अब तू बदलने लगा है मुझे 
मेरे हर पहर में मेरे हर लम्हे में
तू गुमसुम सा रखने लगा है मुझे...

ज़रा देर नज़रों से ओझल हुआ तो
है खुद से ही मन रूठ जाता मेरा
यु तुझसे कही दूर दो पल बिताना
क्यूँ पागल सा करने लगा है मुझे.

तू है सामने पर न है पास मेरे
मै हंस के भुला दू मेरी बेबसी
मगर उसपे तेरा यु नज़रें चुराना
कहीं दिल में चुभने लगा है मुझे.

तू कितना है अपना ये तुझको पता है
ये रिश्ता भी तुझसे नया तो नहीं
किसी और को अब यही सब बताना
बेवजह लगने लगा है मुझे.

मेरे हर लम्हे में तू इतना है शामिल
मेरे जिस्म का जैसे हिस्सा है तू
वो हिस्से को खुद से जुदा रोज़ रखना
परेशान करने लगा है मुझे...

न इक चैन कि सांस लेता हु अब मै
हैं नींदें भी अब मेरी मुझसे खफा
ये हर वक़्त हर पल तेरा ही ख़याल 
अब हैरान करने लगा है मुझे.

मै अब वो नहीं जो था कुछ साल पहले
मै हर मोड़ पर अब कोई और हूँ,
कि मुझपर मेरा बस नहीं अब कोई भी
तू ही बदलने लगा है मुझे...

No comments:

Post a Comment