Thursday, October 13, 2011

I'm the worst pain to live...


I’m the worst pain to live with,
But never have I left you, and never will I.
You thought you buried me long ago,
But I’m alive in your thoughts and never did I go.
You thought you left me way behind your life
But I’m the one muddled in your smile,
I’m the one thwarting you in your celebration.
I’m the foundation for your aggravation and trepidation,
I’m nothing, yet I am the answer to your question.
I’m invisible, yet I overshadow your arrogance.
I make you whimper when you’re alone
When you have all the reasons to be happy,
In a corner of your heart, I make you groan
I’m flashing in your dreams when you’re asleep
I’m the first to wish you a morning,
And the last to wish you a night
You scream at me as I’m silent, but I overrule it.
You beg me as I’m wicked, but I never forgive you.
I’m the one you conceal, but can’t escape.
And I’m the only one you can never deceive.
I’m nowhere, but I’m inside you
I’m something your own, and the worst pain to live with.

Monday, June 27, 2011

Kashmakash...


किसी दिन मै किस्मत से नज़रें चुरा कर 
सजा दूँ जो सपने तुम्हारे सभी
तो तुम जान लोगे जो तुमने है सोची
मेरे मन में भी है तमन्ना वही...

कभी वक़्त से कुछ बहाना बना कर
बिताऊं जो तुम संग पूरी सदी
तो तुम जान लोगे जो तुम चाहते हो
मेरी भी है हर पल की चाहत वही.

तुम्हे डर है आगे की तनहा सड़क से
कदम जिनपे रखने पड़ेंगे कभी
मेरे भी कदम कप्कपयेंगे उस पल
मुझे भी सताता है डर बस वही...

कई दर्द हैं ज़िन्दगी में तुम्हारे
मुझे जिनका एहसास शायद नहीं
मगर तुमको कैसे बताऊँ मै जीता हूँ
बस जीतने को तुम्हारी ख़ुशी.

न दूरी की खुशबू में तुम सांस लोगे
ना साड़ी उम्र तुम जियोगे युहीं
मुझे भी तो होगी घुटन दूर तुमसे
मै कैसे दिलाऊं ये तुमको यकीन!

मैंने भी कितने हैं सपने संजोये
की तुम साथ होगे मेरे हर घड़ी
जो तुम जान लोगे मेरी कश्मकश को
तो देखोगे खुद ही को मुझमे कहीं...
     
 

Monday, April 18, 2011

Mai ab wo nahin...

मै अब वो नहीं जो था कुछ साल पहले
कि अब तू बदलने लगा है मुझे 
मेरे हर पहर में मेरे हर लम्हे में
तू गुमसुम सा रखने लगा है मुझे...

ज़रा देर नज़रों से ओझल हुआ तो
है खुद से ही मन रूठ जाता मेरा
यु तुझसे कही दूर दो पल बिताना
क्यूँ पागल सा करने लगा है मुझे.

तू है सामने पर न है पास मेरे
मै हंस के भुला दू मेरी बेबसी
मगर उसपे तेरा यु नज़रें चुराना
कहीं दिल में चुभने लगा है मुझे.

तू कितना है अपना ये तुझको पता है
ये रिश्ता भी तुझसे नया तो नहीं
किसी और को अब यही सब बताना
बेवजह लगने लगा है मुझे.

मेरे हर लम्हे में तू इतना है शामिल
मेरे जिस्म का जैसे हिस्सा है तू
वो हिस्से को खुद से जुदा रोज़ रखना
परेशान करने लगा है मुझे...

न इक चैन कि सांस लेता हु अब मै
हैं नींदें भी अब मेरी मुझसे खफा
ये हर वक़्त हर पल तेरा ही ख़याल 
अब हैरान करने लगा है मुझे.

मै अब वो नहीं जो था कुछ साल पहले
मै हर मोड़ पर अब कोई और हूँ,
कि मुझपर मेरा बस नहीं अब कोई भी
तू ही बदलने लगा है मुझे...

Sunday, February 6, 2011

Kasak...

है सदियों से सपना जो सोया हुआ सा,
कभी आँख उसने भी खोली तो होगी
हवा में उछालना भी चाहा तो होगा
कोई राह चलने को सोची तो होगी.

है बेचैन रातें गुज़रती जो हर दिन
कभी चैन से आँख सोयी तो होगी
कभी जागते होठ मुस्काए होंगे
नयी कोई उम्मीद जागी तो होगी.

हज़ारों मचलते खयालात मन में
कभी तो सुरों में समाये तो होंगे
की फुर्सत क लम्हों में बैठे बिठाये
कोई धुन ज़हन में आई तो होगी

कदम रास्तों में जो करवट न बदले
की चलने से पहले ये सोचा तो होगा
मगर भीड़ के शोर ने सपनो के
टूटने की सदा भी दबाई तो होगी.

नयी मंजिलों में नए दोस्तों में
ख़ुशी ने जगह सी बनायीं तो होगी
मगर भागते वक़्त में भी कभी तो
पुरानी कोई याद आई तो होगी.

की फिर चल रही ज़िन्दगी ने किसी दिन
मन की वो ख्वाहिश टटोली तो होगी
और सदियों से सोये हुए उस सपने ने
कभी फिर से आँखें खोली तो होंगी...