Saturday, January 30, 2010

Hasratein,,,,,,

कुछ बातें कह कर भी अनकही रह जाती हैं,
कुछ अनसुनी सिसकियाँ आहें बन जाती हैं.
हर तमन्ना हर इन्सान की पूरी कहा होती है,
कुछ हसरतें दिल क दामन में ही जल जाती हैं...

कुछ सपनो का दिया कई साल जलता है,
पर कभी तेज़ आंधियां उसे बुझा देती हैं.
खुदा की रहमत से एक दुआ रंग लती है,
तो दूसरी इंतज़ार में गल जाती है...

कुछ ख्वाहिशें हर सुबह एक नाम से जलती हैं.
और हर रात गुमनाम सी सो जाती हैं.
पर कभी तो टूटेगा नाकामियों का ये पहरा,
ठहरी हुई ज़िन्दगी इस एहसास से चल जाती है.

इक मोड़ पे, इक शाम को जब सफ़र थमता है,
तो कई किस्से उस वक़्त अधूरे रह जाते हैं.
अभी तो उस मंज़र पर यकीं भी नहीं हुआ होता है,
की तभी ज़िन्दगी उस पल को ले कर आगे निकल जाती है...

कुछ लम्हे किस्मत फिर कभी नहीं दोहराती है,
कुछ चेहरों की बस एक तस्वीर साथ रह जाती है.
कुछ हंसी, कुछ आवाजें, कुछ मुस्कुराहतें,
बस याद बन कर ज़हन में पल जाती हैं.

वक़्त गुज़रता है और उन तस्वीरों पे धुल सी लग जाती है.
उन लम्हों की जुस्तुजू भीड़ में कही खो जाती है,
वो चेहरे, वो आवाजें, धुन्द्ली पड़ जाती हैं,
और फिर एक वक़्त क साथ सारी यादें ढल जाती हैं.

फिर नयी सुबह के ज़िन्दगी नयी रफ़्तार पकडती है.
फिर भीड़ में चलती है धूप से लडती है
पर बीती घड़ियाँ किसी कोने में आज भी चुभती हैं,
और कुछ हसरतें दिल क दामन में ही जल जाती हैं...

9 comments:

  1. This is the best Hindi poem composed by me.....

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  2. nice one yaar... realistic lines....very gud poem

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  5. @ Ruhi: That was really really wonderful yar...
    But may I have the pleasure of knowing your name?????

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  7. Hey Ruhi... Well, I must say it for you... This one line made me your fan... How wonderfully you gave me one more stanza for this poem... Was this spontaneous? Or... What? It seems like there's an essence of poetry in you also... Are you on orkut or gmail? Give me some details about you but I'll find you out... I think we should be in contact...

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