Saturday, April 24, 2010

Mujhe bhool jana...

आज अगर तुम्हारे दिल में जगह ज़रा सी बन जाये,
तुम मुझे बसा लेना...
आज अगर तुम्हे एक दोस्त की ज़रूरत पड़ जाये,
मुझे दोस्त बना लेना...
आज अगर तुम्हे कोई गीत याद आ जाये,
तुम मुझे सुना देना...
आज अगर तुम्हारे दिल को कोई बात सताए,
तुम मुझे बता देना...
आज अगर तुम्हे क्लास में कोई लड़की पसंद आ जाये,
उससे मुझे मिला देना...
आज अगर मेरी कोई बात तुम्हे बुरी लग जाये,
तो दो थप्पड़ भी लगा देना...
आज अगर तुम्हे हसने की कोई वजह नहीं मिल पाए,
तो मेरा मज़ाक उड़ा लेना...
आज जो मन हो रोने का, और कोई कंधा न मिल पाए,
मुझे पास बुला लेना...
आज अगर तुम्हे अँधेरे में कोई डर सा छु जाये,
बस, एक आवाज़ लगा देना...

पर कल,
कल यही सड़क एक दोराहे पे हमको ला के छोड़ेगी...
कल अगर ज़िन्दगी ले जाये एक नए रास्ते पर तुमको,
तुम हस्ते हुए चले जाना...
कल तुम्हे लगे अनजानी सी हर राह तुम्हारी मंजिल की,
गुमसुम कदमो से बढ़ जाना...

और साथ में ले जाना मेरी लाखों दुआएं...
फिर मुझे भूल जाना...
फिर लिखना नयी कहानी तुम, दोस्ती क नए रंग लाना,
और मुझे भूल जाना...

पर दोस्त मेरे, तुम मेरे हर एक लम्हे में शामिल हो,
मई तुम्हे भूलों कैसे?
तुम हंसी हो मेरे होठों की और आंसू हो इन आँखों क,
मई तुम्हे भूलों कैसे????

2 comments:

  1. I wrote when I just started my B.Tech in my college... i was missing my school friend.

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  2. Great poem............ Some parts are free verse towards the end...........and that somehow makes it a better poem..... Great work..........

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