हर लफ्ज़ सागर सा गहरा है,
कभी इतनी गहरायी में खो के देखो...
लफ़्ज़ों को मिलाने से तो ज़िन्दगी बन सकती है,
कभी कागज़ पे चंद लफ़्ज़ों को मिला क तो देखो...
मत कहो लिख के सही,
पर कभी हमे दिल की बात बता क तो देखो...
इस दुनिया में सब एक जैसे नहीं होते,
आँखों से अश्कों की चादर हटा के तो देखो!
हर अफसाना झूठ नहीं होता,
आज एक नयी कहानी बना के तो देखो।
कुदरत भी जीने एक इशारे देती है,
इशारों में ही सही, पर कभी दिल की बात बता क तो देखो...
हर फूल में कांटे नहीं होते,
आज इस गुलाब को उठा क तो देखो।
ज़िन्दगी रुकने का नाम नहीं है,
आज एक नया क़दम बढ़ा के तो देखो...
खुदा हर दुआ नज़रंदाज़ नहीं करता,
आज फिर उसके आगे बाहें फैला के देखो!
ये वादा है आसमा सिमट क बाहों में आ जायेगा,
बस एक बार दिल की बात बता के तो देखो.....
ur lines are gud but the truth is that no one cares what we think...time has been changed
ReplyDeletedil ki baat to ab mazzak ban jaati hae
Par isi poem ek line ye bhi hai ki "is duniya me sab ek se nahi hote, ankhon se ashkon ki chadar hata k to dekho..." Tujhe bhi mai yahi advice dunga.
ReplyDeletehey!
ReplyDeletenice work...poem is really nice..sum lines r very gud..but vat i feel is dat dere r ups n downs in d poem..i wud suggest 2 work on dat
Hey first of all thanks to be back... And yeah I will surely work hard on my poem again.....
ReplyDeletevery true
ReplyDeleteबहुुत ही सही एवं सत्य वचन